नपा में ड्रामा / 3 महीने 12 दिन बाद फिर अमीता बनीं नपाध्यक्ष; जांच के बाद आखिरी फैसला शासन ही लेगा

प्रदेश सरकार के साथ-साथ स्थानीय नगर पालिका में भी ग्रेट पॉलिटिकल ड्रामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। 3 महीने 12 दिन के बाद न्यायालय से राहत मिलने पर बुधवार को फिर से अमीता अरोरा ने नपा अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया।  सीएमओ संदीप श्रीवास्तव ने उन्हें पदभार ग्रहण करवाया। इस मौके पर श्रीमती अरोरा ने हाईकोर्ट के फैसले को नगर विकास के लिए ऐतिहासिक बताया।  


हाईकोर्ट ने 5 दिसंबर को उन्हें हटाने और 20 दिसंबर को नमिता राठौर को अध्यक्ष मनोनीत करने के आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि सरकार पुन: मामले की सुनवाई करे और गवाहों के प्रति परीक्षण की अनुमति दी जाए। लगातार चार महीने से चल रही इस तरह की कार्रवाई से शहरवासी इसे पॉलिटिकल ड्रामा बता रहे हैं। पिछले चार महीने में दो बार नमीता राठौर को सरकार अध्यक्ष नॉमिनेट कर चुकी है और दोनों बार श्रीमती अमीता को न्यायालय से राहत मिली है। 



वे आरोप जो बार-बार बदल रहे नपा की सत्ता
1. बाल विहार ग्राउंड के पास शेड निर्माण का काम कराया गया था। 20 अप्रैल 2016 को नपा की बैठक के संकल्प 13 के अनुसार वर्ष 2016-17 के कार्यों के लिए वर्ष 2015-16 की स्वीकृत दर पर ही सामग्री क्रय करने व फेब्रिकेशन का काम कराए जाने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए 5.40 लाख रुपए का मटेरियल बिना तकनीकी स्वीकृति के लिया गया।


2. नपा ने वाल पेंटिंग के लिए 2 लाख की ई-निविदा 22 सितंबर 2018 को जारी की थी। इसकी प्रशासकीय और वित्तीय स्वीकृति प्राप्त नहीं की गई थी। मामले में 10 लाख 74 हजार 695 रुपए का काम करवाया गया था। इसमें से 7 लाख 40 हजार 645 रुपए का भुगतान अध्यक्ष की स्वीकृति से किया गया था।


3. कलेक्टर को छह माह में सीटू नाले के किनारे बने 328 मकानों को हटाया जाना था। नपा ने पोकलेन मशीन, जेसीबी मशीन और डंपर वाहन किराए पर लेने की स्वीकृति दी गई थी। मामले में 24 फरवरी से 2 जुलाई 2018 तक स्वीकृत दरों पर तीन पोकलेन, पांच डंपर और एक जेसीबी किराए पर लेकर 2 करोड़ 85 लाख 99 हजार 400 रुपए का काम करवाया गया था। इस काम में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं।


9 माह से चल रहे ड्रामे कुछ अंश.... 


10 जुलाई को पार्षदों ने प्रदर्शन करते हुए नपा अध्यक्ष के खिलाफ शिकायतें करते हुए अविश्वास प्रस्ताव की मांग उठाई थी। अपर कलेक्टर ने जांच पूरी करते हुए रिपोर्ट नगरीय विकास एवं आवास विभाग को सौंपी थी। जांच प्रतिवेदन के आधार पर विभाग ने नपा अध्यक्ष अमीता अराेरा को पत्र जारी करते हुए सात दिनों में आरोपों पर जवाब मांगा था। यही नहीं विभाग ने नपाध्यक्ष को दो बार 13 और 19 अगस्त को जवाब प्रस्तुत करने के लिए समय दिया, लेकिन वह सुनवाई के लिए नहीं पहुंची थीं। ऐसे में नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय ने 24 अगस्त को पहला आदेश जारी करते हुए नपाध्यक्ष अमीता अरोरा को सभी आरोपों में दोषी मानते हुए अध्यक्ष पद से हटाकर 10 की पार्षद नमिता राठौर को अध्यक्ष नॉमिनेट किया था। अमीता अरोरा की एप्लीकेशन न्यायालय ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली। सितंबर में उन्हें फिर राहत मिली।  5 दिसंबर को फिर से राज्य शासन ने अमीता अरोरा को अक्षम बताते हुए उन्हें पद से हटाने का आदेश जारी किया था। 


गेंद अभी भी राज्य शासन के पाले में 
अमीता अरोरा के ऊपर से अभी संकट के बादल अभी टले नहीं हैं। हाई कोर्ट में अमीता अरोरा की तरफ से पक्ष रखा गया था कि जिस जांच रिपोर्ट के आधार पर उन्हें शासन ने अक्षम बताकर हटाया है उस जांच में उन्हें गवाहों के बयान का प्रति परीक्षण करने की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने उन्हें गवाहों के बयानों का प्रति परीक्षण करने की अनुमति प्रदान की है। आदेश में यह भी कहा है कि शासन गवाहों के प्रति परीक्षण के बाद  उचित निर्णय ले सकता है।



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